________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
८३६ श्री महो० देव० कृत अतित जिन चोविशी.
॥ अथ चउदशम श्री शिवगति जिन स्तवनम् ॥ थारा मेहेला उपर मेह झबुके बीझली से लाल ||ए देशी ||
शिवगति जिनवर देव सेव आ
दोहिली हो लाल ॥ से० ॥ पर परिणति परित्याग करे तसु सोहिली हो लाल ॥ करे० ॥ आश्रव सर्व निवारि जेह
संवर धरे हो लाल || जेह० ॥
जे जिन आणा लीन पीन
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सेवन करे हो लाल ॥ पीन० ॥ १ ॥
वीतराग गुण राग भक्ति रुचि नैगमे हो लाल ॥ भ० ॥ यथाप्रवृत्ति भव्य जीव
नय संग्रह रमे हो लाल० ॥ नय० ॥ अमृत क्रिया विधि युक्त वचन
आचारथी हो लाल ॥ वचन० ॥ मोक्षार्थी जिन भक्ति करे
व्यवहारथी हो लाल० ॥ करे० ॥ २ ॥
૨૯
For Private And Personal Use Only