________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
त्रयोदशम श्री सुमति जिन स्तवन.
८३५
जाणग अभिलाषी नहिरे लाल, नवि प्रतिबिंब शेयरे ॥ सा०॥ कारक शक्तं जाणवुर लाल, भाव अनंत अमेयरे ॥सा०॥ प्रभु०॥५ : तेह ज्ञान सत्ता थकेरे लाल, न जणाये निज तत्त्वर ॥ सा०॥ रुचि पण तेहवि नवि वधेर लाल, ए अम मोह महत्वरे ॥सा० प्रभु०॥६॥ मुज ज्ञायकता पर रसीरे लाल, पर तृष्णाए तप्तरे ॥ साहिवि०॥ ते समता रस अनुभवरे लाल, सुमति सेवन व्याप्तरे ॥ सा०॥प्र०॥७॥ बाधकता पलटाववारे लाल, नाथ भक्ति आधाररे ॥ सा०॥ प्रभु गुण रंगी चेतनारे लाल, एहीज जीवन साररे ॥ सा० ॥३०॥८॥ अमृतानुष्ठाने रह्योरे लाल, अमृत क्रियाने उपायरे ॥ सा०॥ देवचंद्र रंगे रमेरे लाल, ते सुमति देव पसायरे ॥ सा०॥प्र०॥९॥
For Private And Personal Use Only