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आगमसार.
॥ १४ ॥
तत्त्वज्ञान मय ग्रंथ यह, जोवे बालाबोध || निजपर सत्ता सब लिखे, श्रोता लहे प्रबोध ता कारण देवचंद मुनि, कीनो आगम ग्रंथ ॥ भणशे गुणशे जे भविक, लहेशे ते शिवपंथ ॥ १५ ॥ कथक शुद्ध श्रोतारुचि, मिलजो एह संयोग ॥ तत्वज्ञान श्रद्धा सहित, वली काय निरोग परमागमसुं राचजो, लहेशो परमानंद ॥ धर्मराग गुरु धर्मसौं, धरजो ए सुखकंद ग्रंथ कियो मनरंगसो, सितपख फागुणमास ॥ भोमवार अरु तीज तिथि, सफल फली मन आस ॥ १८ ॥
॥ १६ ॥
॥ १७ ॥
॥ इति श्रीआगमसारोद्धारग्रंथः समाप्तः ॥
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