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आगमसार.
अने एकमूल प्रदेश सुद्धां सात प्रदेशनी फरशना छे अने बीजा द्रव्यनी त्रण दिशीनी फरशना छे एम सर्व द्रव्यनी फरशना छे अने आकाशथी धर्म अधर्मनी अवगाहना सूक्ष्म छे धर्म अधर्म द्रव्यथी जीवनी अवगाहना सूक्ष्म छे जीवथी पुनलनी अवगाहना सूक्ष्म छे.
एम छ द्रव्यना गुण पर्याय सामान्य स्वभाव ११ छे. अने विशेष स्वभाव दश छे. ते श्रीकेवली भगवंत ज्ञानयी दर्शनयी देखे. ते इग्यार सामान्य स्वभाव कहे छे. १ अस्ति स्वभाव, २ नास्ति स्वभाव, ३ नित्य स्वभाव, ४ अनित्य स्वभाव, ५ एक स्वभाव, ६ अनेक स्वभाव, ७ भेद स्वभाव, ८ अभेद स्वभाव, ९ भव्य स्वभाव, १० अभव्य स्वभाव, ११ परम स्वभाव. ए इग्यार सामान्य स्वभाव सर्व द्रव्यमां छे. ए सामान्य उपयोग दर्शन गुणथी देखे. हवे दश विशेष स्वभाव कहे छे. १ चेतन स्वभाव, २ अचेतन स्वभाव, ३ मूर्ति स्वभाव, ४ अमूर्ति स्वभाव, ५ एक प्रदेश स्वभाव, ६ अनेक प्रदेश स्वभाव, ७ शुद्ध स्वभाव, ८ अशुद्ध स्वभाव, ९ विभाव स्वभाव, १० उपचरित स्वभाव. ए दश विशेष स्वभाव छे. कोइक द्रव्यमां कोइक स्वभाव छे, कोइक द्रव्यमां कोइक स्वभाव नयी, ए ज्ञानथी जाणे एटले सिद्ध भगवान लोकालोक सर्व ज्ञानोपयोगयी जाणी रह्या छे. दर्शनोपयोगथी देखी रह्या छे एहवा अनंत गुणी अरूपी सिद्ध भगवान छे ते समान पोताना आत्माने जाणे उपादेय करी ध्यावे ते समकित जाणवो. ॥ दोहा ॥
अष्ट कर्म वन दाहके, भए सिद्ध जिनचन्द ॥ ता सम जो अप्पा गणे, वंदे ताको इंद
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॥ १ ॥