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आगमसार.
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समकित आदि कारण तो श्रेणिक राजाने हता तो मोक्ष केम न थयो ? तेने उत्तर जे पूर्वकृत कर्म घणां हृतां अथवा पुरुषकार जे उद्यम करयो नही. फरी पृछ्युं जे शालिभद्र प्रभुए तो उद्यम घणो कीधो तेनुं उत्तर जे तेमना पूर्वकृत शुभकर्म खप्यां नहतां माटे पांच समवाय मिल्या कार्यनी सिद्धि थाय, तेवारें फरि पूछयुं जे मरुदेवा माताने तो चार कारण मिल्या पण पांचमो पुरुषकार उद्यम कांड कीधो नहीं तेने उत्तर जे क्षपक श्रेणि चढवानो शुक्ल ध्यान रूप उद्यम कीधो छे माटे पांच समवाय मील्या मोक्षरूप कार्य सिद्ध थाय.
जेवारें केवलज्ञाने करी सर्व द्रव्य जेम रह्या छे तेम देखे एटले आकाशद्रव्य लोकालोक प्रमाण छे तेमां अलोकमां बीजुं द्रव्य कोई नयी. लोकाकाशना एकेक प्रदेशे धर्मास्तिकाय, अधमस्तिकायनो एकेक प्रदेश रह्यो छे तथा अनंता जीवना अनंता प्रदेश रह्या छे, अनंता पुल परमाणुआ रह्या छे. कालनो समय सर्वत्र व ले.
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हवे छ द्रव्यनी फरसना कहे छे. धर्मास्तिकायना एक प्रदेशे धर्मास्तिकायना छ प्रदेश फरस्या छे ते आवी रीते के चार दिशिना चार अने पांचमो नीचे, छट्टो ऊपर ए छ प्रदेश फरस्या छे तथा एक मूल पोतें प्रदेश एम सात प्रदेशनो संबंध छे अने धर्मास्तिकायना एक प्रदेशने आकाशद्रव्य तथा अधर्मास्तिकायना सात सात प्रदेश फरशे छे तें एक मूलना प्रदेशने बीजा द्रव्यनो मूलनो प्रदेश फरशे माटे सात प्रदेशनी फरसना छे अने धर्मास्तिकायना एक प्रदेशें जीव पुद्गलना अनंता प्रदेशनी फरशना छे अने लोकने अंते जे धर्मास्तिकायना प्रदेश छे तेने आकाशनी फरसनातो छए दिशीनी छे
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