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आगमसार.
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विशेषताने अंगीकार करे छे, जे जीव द्रव्य एम कडं तो अजीव सर्व टल्या ते विशेष संग्रह.
हवे व्यवहार नय कहे छे. जे बाह्यस्वरूप देखीने भेदनी वेंहेचण करे अने जे बाहेर देखता गुणनेज माने पण अंतरंग सत्ता न माने एटले ए नयमां आचार क्रिया मुख्य छे. अंतरंग परिणामनो उपयोग नथी केमके नैगम तथा संग्रह नय ते ज्ञान रूप ध्यानना परिणाम विना अंश तथा सत्ता ग्राही छे तेम इहां करणी मुख्य छे ते व्यवहारनये (पणे) जीवनी व्यवस्था अनेक प्रकारें छे. तिहां नैगम तथा संग्रह नय करी सर्व जीव सत्तायें एक रूप छे पण व्यवहार नयथी जीवना बे भेद छे. एक सिद्ध, बीजा संसारी. ते वली संसारी जीवना बे भेद छे. एक अयोगी चौदमा गुणठाणावाला तथा बीजा सयोगी ते सयोगीना बे मेद एक केवली बीजो छद्मस्थ, छद्मस्थना बे भेद एक क्षीण मोही बारमा गुणठाणे वर्त्तता मोहनीय कर्म खपाव्युं ते, बीजो उपशान्तमोहते उपशान्त मोहना वली बे भेद एक अकषायी इग्यारमा गुणठाणना जीव; बीजा सकषायीना बे मेद छे, एक सूक्ष्म कषायी दशमा गुणठाणाना जीव बीजा बादर कषायी. ते बादर कषायीना वली बे भेद छे. एक श्रेणि प्रतिपन्न, बीजो श्रेणि रहित ते श्रेणी रहितना बे भेद. एक अप्रमादी बीजो प्रमादी ते प्रमादीना बे भेद एक सर्व विरति बीजो देश विरति, देश विरतिना बे भेद एक विरति परिणामि बीजा अविरति परिणामि, अविरतिना बे भेद एक अविरति समकीति बीजा अविरति मिथ्यात्वी, ते मिथ्यात्वीना बे भेद एक भव्य बीजा अभव्य, ते भव्यना बे भेद एक ग्रंथिभेदी बीजा ग्रंथी अभेदी (अभेद ग्रन्थि) एवी रीते जे जीव जेवो देखाय तेने
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