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आगमसार.
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हवे सात नय कहे छे १ नैगम, २ संगृह, ३ व्यवहार, ४ रुजु सूत्र, ५ शब्द. ६ समभिरुढ, ७ एवं भूत- ए सात नयना नाम जाणवां, तेमां पहेलो नैगम नय कहे छे. नथी एक गमो ते नैगम कहियें. गुणनो एक अंश उपन्यो होय तो नैगमनय कहियें. दृष्टान्त जेम कोइक मनुष्यने पाली लाववानो मन थयो, ते वारें जंगलमां लाकडं लेबा चाल्यो, रस्तामा कोइक मनुष्य मल्यो तेणें पूळयुं तुं क्यां जाय छे ते वारे तेणें कहां जे पाठी लेवा जाउं छं. ते पाली तो हजी घडी नयी पण मनमां चिंतवी ते थइ एम गण्युं तेम नैगम नय, सर्व जीवने सिद्ध समान कहे, केमके सर्व जीवना आठ रुचक प्रदेश निर्मल सिद्ध रूप छे तेथी एक अंशें सिद्ध छे ते माटे सिद्ध समान सर्व जीव कह्या. ते नैगम नयना ॠण भेद छे १ अतीत नैगम २ अनागत नैगम ३: वर्तमान नैगम, ए. नैगम नय को.
हवे संग्रह नय कहे छे. सत्ताग्रहे ते संग्रह. जे एक नाम Bharat सर्व गुण पर्याय परिवार सहित आवे ते संग्रह नय जाणवो. तेनो दृष्टान्त-जेम कोइक मनुष्ये प्रभातें दातण करवाने अर्थ पोताना वरना बारणे बेशीने चाकर पुरुषने क जे दातण लइ आवो, तें वारें ते चाकर ममुष्य- पाणीनो लोटो तथा रुमाल अने दातण एम सर्व चीज लइ आव्यो. हवे शेठें तो एक दातण नाम लड़ने मंगाव्युं हतुं पण सर्वनो संग्रह करी चाकर लइ अन्यो तेमज द्रव्य एवं नाम कथं तो द्रव्यना गुण पर्याय सबै आव्या. ए संग्रह नयना बे भेद छे. एक जे द्रव्य पणो सामान्य पणे बोलतां जीव तथा अजीव द्रव्यनो भेद पड्यो नही ते पेहेलो सामान्य संग्रह, तथा बीजो
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