________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आगमसार.
हवे धर्मास्तिकायमां चार गुण तथा खंधपणो ते अनादि अनंतछे अने अनादि सांत भांगो नथी तथा १ देश २ प्रदेश ३ अगुरुलघु ए सादि सांत भांगोछे. तथा सिद्धना जीवमां धर्मास्तिकायना जे प्रदेश रह्या छे ते प्रदेश आश्रयीने सादि अनंत भांगोछे वीज रीते अधर्मास्तिकायमां पण चौभंगी जाणवी अने आकाश द्रव्यमां गुण तथा खंध अनादि अनंतछे बीजो भांगो नथी अने १ देश २ प्रदेश तथा ३ अगुरु लघु सादि सांतछे तथा सिद्धना जीवनी साथे संबंध ते सादि
अनंत छे. ___पुद्गल द्रव्यमां गुण अनादि अनंतछे. जीवपुद्गलनो संबन्ध अभव्य ने अनादि अनंतछे. भव्य जीवने अनादि सांतछे पुद्गलना खंध सर्व सादि सांतछे जे खंध बांध्या ते स्थिति प्रमाणे रही खरेछे वली नवा बंधायछे माटे सादि अनंत भांगो पुद्गलमा नथी. ... कालद्रव्यमां गुण चार अनादि अनंतछे पर्यायमां अतीत काल अनादि सांत छे अने वर्तमानकाल सादि सांत छे. अनागतकाल सादि अनंत छे. ए कालनुं स्वरूप ते सर्व उपचास्थी छे. ए रीत काल द्रव्यमा चौभंगी कही. . हवे द्रव्य क्षेत्र काल तथा भावमां चौभंगी कहे छे. जीव द्रव्यमा स्वद्रव्यथी ज्ञानादिक गुण ते अनादि अनंत छे. स्वक्षेत्रे जीवना प्रदेश असंख्याता छे ते सादि सांत छे ततोरर्तनापणे फरे छे ते माटे अथवा अवगाहना माटे सादि सांत छे पण छती पणे तो अनादि अनंत छे. स्वकाल अगुरु लघुने गुणे अनादि अनंत छे अने अगुरु लघु गुणनो उपजवो
For Private And Personal Use Only