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(२१७)
छे. सूक्ष्म एकेन्द्रिय बादर तेज वायुमां सम्यक्त्वलेश्यावंताना उत्पादनो अभाव छे माटे सास्वादन तेओमां नथी ए कार्मग्रन्थिक अभिप्राय छे. सूत्राभिप्रायवडे तो पृथिवी आदि एकेन्द्रियाने सास्वादन सम्यक्त्व
नथी. यदुक्तं प्रज्ञापनायाम्, पुढविकाश्याणं पुच्छा गोयमा पुढविकाश्या नो सम्मदिट्टी नो सम्मामिच्छदिट्ठी एवं जावणप्पइकाइया - || इति प्रवचनसारोद्वारे १४९ द्वारे ॥ पञ्च सम्यक्त्वानां कालनियममाहअंतमुहूत्तोवसमो, छावलिसासाणवेयगोसमओ, साहियतित्तीसायरखइयो दुगुणो खओवसमे ॥
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