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(२१६)
न्द्रिय तिर्यंच स्त्रीओ अने उपर्युक्त त्रण मकारना देवताओने पारभविक क्षायिक सम्यक्त्व पण होतुं नथी. कारणके क्षायिक सम्यकदृष्टिना तेओमां उत्पाद थतो नथी. उपर्युक्त संख्यातायुष्कसंज्ञिपंचेन्द्रिय तिर्यच स्त्रीओ तथा त्रण प्रकारना देवताओने उपशम अने क्षयोपशम सम्यक्त्व थाय छे. एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय अने असंज्ञिपञ्चेन्द्रिय जीवोने ते भव वा परभवनी अपेक्षाएं त्रण सम्यक्त्वमांथी एक पण सम्यक्त्व होतुं नथी. बादर, पृथ्वी, जल, वनस्पति, द्वित्रिचतुरिन्द्रय जीवो अने असंज्ञिपंचेन्द्रियोमां पर्याप्तावस्थामां पारभविक सास्वादन सम्यक्त्व अने पर्याप्त संज्ञी पंचेन्द्रियमां ताद्भविक पमाय
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