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पट हृव्यं विचार.
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मिति, रुपणासमिति इत्यादि पांचसमिति. अने गुप्त शुद्धि क्यारे पाळीस. अने बावीस परीसहने समभावे तुं क्यारे सहीय. हे चेतन तं विनयामिलापथी मन पालुं बाळ.
त्यादि दशविध यतिधर्म शुद्ध पाळवा उयम करके जैथी आत्महित थाय. ए यतिवर्म भवोभवनां दुःख टालणाहार छे. अने पंचमो गति जे मोक्ष तेने आपनार छे. छे. धन्य धन्य के ते मुनिराजने कजे मान अपमान चित्तमां समगणे छे. सोनुं अने पाषाण चित्तमां समगणे छे. अने शत्रुमित्र उपर समद्रष्टि राखे छे. पांच प्रकारनां चारित्र हे जीव तने क्यारे उदये आवशे. अहो हुं क्यारे एकाकी अप्रतिवद्ध विहार करीश. हे चेतन कोइपण
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