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षड् द्रव्य विचार.
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भाव सर्व त्याग करवा योग्य थाय छे. ए रुपातीत ध्यान कर्तुं विशेष चार ध्याननुं स्वरुप योग शास्त्र आदिथी जाणं. त्रीजुं धर्म ध्यान तेनी चार भावना क
हे छे.
( १ ) मैत्री भावना ( २ ) प्रमोद भावना ( ३ ) कारुण्य भावना (४) माध्यस्थ भावना.
१ मैत्री भावना - सर्व जीव साथे मित्रता चितवत्री कोइ जीव मारो दुश्मन नथी. सर्वे जीवना आत्मा सिद्ध समान सत्ताए छे, अने कर्मनाशथी संसारमां सुखी दुःखी देखाय छे, ते सर्व जीव मारा सजातिय भाइ छे. एकेंद्री आदिथी पंचेंद्री पर्यंत सर्व जीव