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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूजासंग्रहनी प्रस्तावना. शास्त्रविशारद - कविराज, जैनाचार्य श्रीमद् बुद्धिसागर सूरिकृत पूजासंग्रह खरेखर ज्ञान भक्तिरस अने चारित्र भावरसनो सागर के. श्रीमद्नी रचेली पूजाओमां भाव मुख्य छे. जे जे विषयनी पूजा रचेली छे तेनुं उत्तम हार्दिक स्वरूप चितयुं छे, एटलुंज नहि परंतु तेमां स्थळे स्थळे तेमना उद्गारो के जे ज्ञानभक्तिरसमय के ते देखाय छे. कर्तानुं ज्यां हृदय नीतरे छे ते काव्य छे. आनंद रसना उभरा अने अनुभव ज्ञानना उभराओ ज्यां त्यां पूजाओमां वांचतां अनुभवाय छे ते सहृदय साक्षर पूजानुभवीभक्तो स्वयमेव जाणी शकशे. गुरुमहाराजे रागो के जे पूजाओमां प्रचलित छे तेमां पूजाओ रची छे, केटलीक पूजाओने रागणीओमां पण रची छे. पंचधा योग पूजा, अष्टांग योग पूजा, दानशीयलतपभाव पूजा, पडावश्यक पूजा, महावीर जन्मजयंती पूजा वगेरे पूजाओ के पहेलां कोइए रची नहोती एवी पूजाओ रचीने तेमणे पूजारसिकोने नवीन पूजाओना आनंदरस आस्वादन प्रति आकर्ष्या छे. गुरुमहाराजनी रचेली पूजाओमां प्रासानुपास, झडझ मक साथै आध्यात्मिक ज्ञान भक्ति चारित्र रसनो प्रवाह वह्या करे छे. तेमनी रचेली पूजाओ घणे ठेकाणे भणाववानी इच्छावाळा श्रा वको ज्यां त्यां गामोगाम पूजासंग्रह बहार पडया पहेला अगाउथी मागणीओ कर्या करे छे. अष्टप्रकारी तथा वास्तुक पूजा आजसुभी घणा गामोमां शहेरोमां भणाववामां आवी छे. तेमनी रचेली नवपदनी मोटी पूजा पहेलवहेली विजापुर पासेना महुडी गाममां विजापुर तथा साणंदनी श्रावक टोळीए भणावी हती. गुरुश्रीए सत्तरभेदी पुजा एक दिवसमां पांच कलाकमां रची पूरी करी हती. पंचपरमेष्टी पूजा, पडावश्यक पूजा, अष्टांगयोग पूजा तथा पंचधायोग पूजा वगेरे पू + For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
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