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वगेरे रचवानो आग्रह कयों, तेथी निमित्त पामीने बाकीनी केटलीक पूजाओ रचाइ छे. पूजासंग्रह छपाववामां जे जे श्रावकोए धननी सहाय करी छे तेओने धन्यवाद आपवामां आवे छे. पूजासंग्रह प्रथमावृत्तिमा जे कंइ स्खलन, भूल, दोष रहेल जणाशे तेने द्वितीयात्तिमा सुधारी लेवामां आवशे अने बनशे तो बीजी पण केटलीक नवीन पूजाओ रची दाखल करवामां आवशे. पूजासंग्रहनां प्रफ सुधारवामां मुनि कीर्तिसागरे मदत करी छे तेथी तेने धन्यवाद आपवामां आवे छे. जे कंइ वीतराग महावीर प्रभुनी आज्ञा विरुद्ध लखायुं होय तेनो मिच्छामि दुक्कडं देवामां आवे छे. पूजा भणावनारा अने श्रवण करनाराओना हृदयमा सेवाभक्ति पूजाना परिणामनी वृद्धि शुद्धि थाओ. इत्येवं ॐ अर्हमहावीरशान्तिः ३
मु. महेसाणा. ___ सं. १९७९ कार्तिकमुविज्ञानपंचमी. ले. बुद्धिसागरसूरि.
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