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गाई शके छ पण द्रव्य पूजा करता नथी, कारण के तेओए द्रव्य पूजानो त्याग करेलो छे. पूजा भणावतां आत्मोल्लासथी अनेक कमेनी वर्गणाओनो क्षय थाय छे.
में यथाशक्ति पूजाओ रचवामां प्रयास को छे. समकितदृष्टिवाळा जीवो श्री कृष्णनी पेठे तेमाथी गुण सार ग्रहण करशे अने मिथ्याष्टियो काकनी पेठे दोषो जोशे. गुणानुरागी जे भक्तो हशे तेओ अवश्य फल प्राप्त करशे.
वसो गामना संघना आग्रहथी पहेली अष्ट प्रकारी पूजा रचवामां आवी हती अने त्यां प्रथम देरासरमां भणावी हती. वास्तुक पूजा विजापुरमां वकील. शा. रीखवदास अमुलख, दोशी. नथुभाइ मंछाचंद वगेरेना आग्रहथी रचवामां आवी हती अने प्रथम शेठ. रीखवदास अमुलेखना नवा घरमां भणावी हती. मोटी नवपदनी पूजा प्रथम महुडी गाममां श्रीपद्मप्रभुनी आगळ विजापुरनी अने साणंद श्रावकनी टोळीए सारी रीते भणावी हती पूजासंग्रहमां आपेली पूजाओ जोवार्थी मालुम पडशे के ते ज्ञानदर्शन चारित्ररूप मोक्ष मार्ग छे. व्यवहारनय अने निश्चयनय एम बे नयनी स्या द्वादशैलीथी अनेकांतनयसहित पजाओ रचेली छे, तेनो भाव उत्तम छे. गीतार्थमध्यस्थभावी गुणानुरागी मुनियो पासे तेनो भावार्थ धारवो. पूजाओमां रुचिभेदे कोइने कोइ रुचे छे अने कोइने कोइ रुचे छे. रुचिज्ञानभेदे जुदी जुदी पूजाओ सर्वने रुचे छे. पूजानो सार ग्रहण करवो पूजाओपैकी जेना जे अधिकारी हशे ते तेने ग्रहण करी भणावशे अने फल प्राप्त करशे. पूजासंग्रहने छपाववामां साणंद संघना श्रावकोए आगेवानीभों भाग लीधो छे. शेठ गोविंदजी उमेदनी पाछळ तेमना भाइ त्रिभोवनदास तथा चुनीलाले तथा भाइ दलमुखमाइए धर्मदान करेलं, तेओए तेमनी नाम स्मृतिमाटे पूजाओ
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