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२०५ पार्श्वनाथ पूजा.
दुहा. पार्श्वप्रभु प्रणमुं सदा, त्रेविसमा जिनराय; वन्दे पूजे भावथी, सिद्धे वालित काज. ॥ १॥
ढाल. पार्श्वप्रभु जगमां जयकारी, परब्रह्म जगने सुखकारी; चोत्रिश अतिशयथी अवतारी, पांत्रिशवाणी गुणना धारी, पार्श्व पूजीजे ध्याने रहीजे, आत्मिक गुण प्रगटावी लीजे ॥ २॥ कुसुमांजलिए पूजा कीजे, प्रभुस्वरूप थावा दील कीजे. ॥२॥
(फूल चढाव, ४) वीरप्रभु पूजा.
दुहा. शासननायक जगधण), परब्रह्म महावीर, सर्वदेवना देव जे, सर्वधीरमां धीर. ॥१॥
ढाळ.
प्रभुमहावीरदेव समरीजे, आविर्भावे आतम
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