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कीजे, वीर बनी महावीरने नजीए, कायरता दुर्गु
णने तजीए, प्रभुचरणे कुसुमांजलि घरीए, धीर वीरता वेगे वरीए; देहाध्यास तजी वीर थावुं ते माटे वीर गावं ध्यावुं ॥ २ ॥
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( फूल चढाव ५ )
॥ अथ सर्वजिनपूजा ॥ सकलजिनेश्वर प्रेमे पूजो, अशुभकर्मथी भवि जन धूजो; कुसुमांजलि जिनचरणे धरीए, सहज स्वभावे शिवपुर वरीए ॥ २ ॥ कुसुमांजलि पूजो सर्व जिनन्दा, तुज चरणकमल सेवे चोसव इंदा.
( फूल चढाव. ६ )
इति चोवीश जिनपूजा,
॥ सर्व जिनपूजा ॥
ढाळ,
पन्नरक्षेत्रे अतीतकालमां, वर्तमानमां वर्त्तेजी, भाविकाले थाशे जे जिन; वीतरागगुण शर्तेंजी, एकसो ने सित्तेरतीर्थकर, उत्कृष्टा जे कालेजी. पूजूं
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