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शान्तिजिनपूजा.
दुहो.
क्षायिकनवलब्धि प्रभु, शान्तिनाथ जगदेव; द्रव्यभावथो शान्तिने, पामो करीने सेव, ॥१॥
ढाल. सहजानन्दस्वनावे शान्ति, केवलज्ञाननी शोभे कान्ति; टाळे सर्वजीवानी ब्रान्ति, आपे तन्मय थातां क्षान्ति; चोसठ इन्द्रो सारे सेवा, पूनुं प्रणमुं शान्ति देवा. ॥२॥
(फूल चढाव. ४) नेमिनाथ पूजा.
दुहा. केवलज्ञानमा नासतुं, अणुसम विश्व सदाय, ते नेमि प्रभुपूजीए, भावब्रह्म प्रगटाय. ॥ १ ॥
ढाल. बाल्यथकी जे ब्रह्मव्रतधारी, अनन्तशक्तिमय अवतारी, केवलज्ञानथी जगहितकारी; मोहशत्रु हणी ए मोहारि, नेमिजिनेश्वरने पूजीजे, प्रभुस्वरूप थै प्रनु प्रणमीजे ॥२॥
(फूल चढाव ३)
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