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म्हारं हाहं मोह अंधारूं-, प्यारं गण्यु थयुं न्यारं, सद्गुरुज्ञाने थयुं उजियारं,हवे न मोहथी हारं हो राज !!! .... महावीर- ३ जडमां म्हारुं मानी मूल्यो-, फोगट फूलण फूल्यो, भवदरियामां मोहे डूल्यो,जडना मोहे झूल्यो हो राज !!!-- .... महावीर० ४ मरुदेवाए मोह निवारी-, अन्यत्वभावना धारी; सगरचक्रीए मोह निवारी, मुक्ति लही सुखकारी हो राज!!!--.... महावीर०--५ जर जमीन जोरु सहु न्यारं-, कोइ न साथ थनारं, आतमवडे आतम उद्धारूं-, शरणं हारुं स्वीकार्य हो राज!!! .... महावीर०-६ जडद्रव्योथी आतम न्यारो,ज्ञानानन्द आधारो; बुद्धिसागर वीरजिनेश्वर-, प्यारामां तुं प्यारी हो राज !!! .... महावीर०७
ॐ० प जलं यः स्वाहा ॥
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