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पंचमी अन्यत्वभावनापूजा. आतमथी तनु श्रादि सहु-छे अन्यत्व ए भाव !!, मोहाहिविषजांगुली; अन्यत्वभावना दाव ॥१॥ अन्यत्वभावना भावीए, आतमशुद्धिकार: अरिहंतमहावीर पूजीए-लहीए शांति अपार ॥२॥ पुद्गलजडमायासकल--, छे आतमथी अन्य; भरत अट्टाणु भाइयो,-मुक्तिवर्या धन्य धन्य ॥३॥ (शुं कथु कथनी मारी हो राज !!! शुं कहुं कथनी मारी. ए राग.) प्रभु महावीरजिनवर तारो हो राज!!!, महावीर जिनवर तारो; म्हने आशरो एक छे त्हारो हो राज!!!-महावीर०॥ मनतनयौवनधन नहीं म्हारूं,पुत्रकुटुम्ब सहु न्यारं; जडमायामां म्हारं न हारूं,अन्यत्वभावे विचारं हो राज ! !..... महावीर० १ घांचीनी घाणीना वृषभनीपेठेचाल्यो ठामनो ठामे; आस्त्रवकर्म करी अथडायो-, पडियो मोहना भामे हो राज !!!......महावीर॥२
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