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कर्मसंयोगे द्वैततारे-, अद्वैत आप विचार; कनककामिनीमोहथीरे-, आयु न एळे हार हो. .... .... आतम ५ कर्मे संयोग वियोगछेरे-, ए सहु पुद्गल खेल; म्हार रहारं मोहवृत्तिथीरे-, ममताअहंता मेल हो. .... .... आतम० ६ कोनो न हुँ को न माह्यरुंरे-, एकत्वभावना भाव !!!; सत्यने समजी आतमारे, मोहमायाने हठाव हो. .... ..... आतम ७ नमिराजर्षि शिववर्यारे, भावना भावी उदार; बुद्धिसागरबोधथीरे-, चेतो नरने नार हो. .... .... आतम ८
ॐ प० जलं यः स्वाहा ॥
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