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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१३) जळनो अनिषेक करवो.) पूष्पादिकथी प्रनु वधाव्या, श्रानंदना कल्लोले; मंगलदीवो आरति करोने, सुरवर जय जय बोले ॥१०॥ अनेक वाजिंत्रोने वजावे, अनेक नाचो नाचे, प्रभुनोजन्मोत्सव करीने, सर्व सुरासुर राचे; करमा धारण करीने प्रजुने, त्रिशला माता पासे; इन्द्रादिक बावीने बोले, पूरण हर्षोल्लासे ॥११॥ पुत्र तमारोप्रभु अमारो, सर्व विश्वाधार; तुज कुखे प्रभु जन्म्या माटे, विश्व मात निर्धार; पंच धाव सोंपी प्रभु क्रीमा,-करवा माटे बेश; बत्रीश कोटि रत्नादिकनी, वृष्टि करे हरे क्वेश. ॥१॥ (फूल केशरवाळा चोखा, नामाछमी विगरे प्रभु सन्मुख उछाळवं.) इंद्रादिक प्रभु वांदि पूजी, नन्दीश्वरमां जावे; अष्टान्हिका महोत्सव करीने, श्रानंद मंगल पावे; निज निज कल्प सधावे सुरवर, दीक्षोत्सव अनिलाषे; केवलज्ञान महोत्सव इच्छा,राखी हर्ष विकासे. ॥१३॥ प्रभु जन्मोत्सव भारत देशे, नक्ते कीधो नावे; घर घर आनंद मंगल वतों, स्नात्र महोत्सव दावे; For Private And Personal Use Only
SR No.008633
Book TitlePooja Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1922
Total Pages417
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size15 MB
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