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(२९०) गीत राग-मालवी गोडी. वासथकी प्रभु पूजा सारी, भक्तजनोने प्यारीरे; गुणीनी सेवा प्रकट करे गुण, प्रभुगुणनो बलिहारोरे. वास० ॥१॥ समकित वासे प्रभु पूजंतां, गुणगण प्रगटे भारीरे; प्रभुगुणवासे वासित आतम, शुद्धातम निर्धारीरे. वास ॥ २॥ सर्व विरति संयमगुण वासे, मोहनी धुगंध नासेरे; समकितवासे प्रभु निज पासे, आपोआप प्रकाशेरे. वास० ॥ ३ ॥ निमित शुद्ध उपादान वासे, चढतां भाव वधारीरे; बुद्धिसागर आत्मविकासो, प्रभु पूजी नरनारीरे. वास०॥४॥
पंचमी पुष्पपूजा. द्रव्यजावसुपुष्पथी, पूजंतां जिनराज; अंतर आतम उल्लसे, प्रगटे प्रभु साम्राज्य.॥॥ प्रभु निर्मल दर्शन कीजीए ए-राग.
सारंगरागण गीयते. पूजीए पूजीए पूजीए, जिनराजने प्रेमे पूजीए,
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