________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( २८९ ) दीपचंदी ताल सोरठ. जिनदर्शन मोहनगारा, ए राग.
तुज मूरति प्रभु !!! मुज व्हाली, आंखे देखी देखी धारीरे तुज० सम्यग् मति श्रुत चक्षु युगलथी, प्रभु पूजा जयकारो; केवल दर्शन ज्ञान प्रगटतां, पूजा पूर्ण प्रकारोरे तुज० ॥ १ ॥ शब्दनये तुज मूरति प्यारी, देखे तस बलिहारी; नयव्यवहारे स्थापना सारी, जविजीवने हितकारीरे तुज० ॥ २ ॥ तुज भक्ति शिवपुरनी बारी, मिथ्यामत संहारो, सम्यमू दृष्टिी करनारी, अनंत कर्म संहारीरे. तुज० ॥३॥ भावथी पूजंतां नरनारी, आनंदनी लहे क्यारी; बुद्धिसागर जिनगुण धारी, पूजा छे सुखकारीरेतुज० ॥ ४ ॥
चतुर्थी वासपूजा ॥
चंदन घसी घनसारने, मेळवी पुष्प सुवास; वासथकी प्रभु पूजीए, जावथकी विश्वास. ॥ १ ॥
For Private And Personal Use Only