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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३७१ ) ईश्वर. कर्तृत्व निराकरण, ईश्वरने कवी ते मोहवेष्टित जाणवुं. अहो अज्ञाननी केदली शक्ति. कोइ एम कहे के - ज्यां इच्छा नथी त्यां शुं सुख ? अलबत कंड नहीं. आवी रीते बोलनारे समजवुं के योगीन्द्रमहात्मा समाधिमां अनन्त सुख वेदेछे, पण ते समये तेने इच्छा नथी माटे इच्छा होय त्यां सुख एवी व्याप्ति घटती नथी. etase कदापि ईश्वरथी बनी शके नहीं. ईश्वरमा जडस्वभाव नथी. जडवस्तुनो कर्त्ता वान्याय आपनार ईश्वर नथी. हे भव्य हृदयमां अवधार. कोइ एम कशे के - ईश्वरनी शक्ति अनन्तछे अने जडपदार्थनी शक्ति अल्पछे माटे ईश्वरथी सृष्टि बनेछे. आ युक्ति पण बेश नथी ते जणावेछे. ईश्वरनी शक्ति चैतन्यभावे अनन्तछे तेम जडनी शक्ति asभावे अनन्तछे. ईश्वरना धर्म अनन्तछे जेम जडतत्त्वना धर्म पण अनन्तछे. आत्मा अने जड बे तत्त्व भिन्नधर्मीछे. जडपुद्गल द्रव्य साकारछे अने आत्मतत्त्व निराकारछे. प्रत्येक तत्त्व स्वस्व - भावे स्वतंत्रछे, वस्तुतः कोइ द्रव्य परतंत्र नथी. प्रत्येक द्रव्यमां अनन्त अस्तिधर्म अने परनी अपेक्षाए अनन्तनास्तिधर्म रह्योछे. अस्तिधर्म अने नास्तिकधर्मनी अनन्तता षड्द्रव्यमां व्यापी रहीछे.. अन्य द्रव्यनो कर्त्ता अन्यद्रव्य वस्तुतः नथी. चेतनथी जो जडनी उत्पत्ति उपादानपणे थाय तो खरशृंगनी पण उत्पत्ति थाय. पण खरने शृंग थतांज नथी ते प्रमाणे ईश्वररूप चैतन्य मूर्तिमांथी जडवस्तु थती नथी. त्यारे ईश्वरमांथी जगत् थयुं एवं प्रलाप करवो ते अंधश्रद्वानी बुद्धि विना अन्य समजातुं नथी. स्व सुखडीथी पेट भराय तो ईश्वरमांथी जडनी उत्पत्ति थाय. आ प्रमाणे सिद्धांत वदवाथी प्रश्न थशे के अहो ज्यारे परमात्माथी जगत्नी उत्पत्ति थती नथी, त्यारे तेमनी अनन्त शक्ति शा For Private And Personal Use Only
SR No.008627
Book TitleParmatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages432
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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