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मोक्ष.
(३५ ) छे. सर्व आत्माओ पोतपोताना स्वरूपे परमानंद सुखविलासी छे. सर्व सिद्धात्माओमां कंवलज्ञान अने केवलदर्शन छे. कोइ नानुं मोटुं नथी. अष्टकर्म खप्याथी अष्टगुण सिद्धना जीवोमां प्रगट्या छे. पोताना गुणना कर्ता प्रत्येक सिद्ध भगवान् छे. विभावशाथी रहित स्वस्वभावभोगी थयाछे माटे परतुं कर्त्तापणुं लेश मात्र नथी. वळी सिद्धना जीवोने शरीर नथी, लेश्या नथी, मन नथी, काया नथी, एक पुद्गल परमाणु सरखो पण सिद्धना जीवोमा रह्यो नथी अलेशी, अशरीरी, अचल, सिद्धना जीवोछे. ___एम मानेछे के, मुक्तिमां केटलाक वर्ष पर्यंत रहीने जीव पाछो संसारमा आवेछे. पण ते योग्य नथी. कारणके कर्मनो नाश थतां सिद्ध स्वरुपता प्रगटे छे ते अवस्था सादि अनंतमें भांगेछे. एटले सिद्धमां गयानी आदि छे पण अनंत नथी अर्थात् सिद्ध थया पछी संसारमा आवता नथी. संसारमा आववानुं कारण कर्म छे ते कर्मनोतो प्रथमथोज नाश करी मुक्ति गयाछे माटे संसारमा अवतार लेवानुं काम बिलकुल नथी. वळी कोइ कहेशेके, सिद्धना आत्माओने नवां कर्म लागे ते पण ज्ञानहीन वचनछे कारणके, कर्म लागवानुं कारण आत्माने राग अने द्वेष छे अने रागद्वेषनो सर्वथा नाश करी सिद्धात्मा थया छे माटे नवां कर्म पण सिद्ध परमात्माने लागतां नथी. सदाकाल शुद्ध स्वरूपे निज भोगवेछे, तेथी सिद्धना आत्माओ कदापि काले संसारमा पाछा जन्म धारण करता नथी. सिद्धना जीव अनवतारी छे. कोइ एम कहेशेके. ज्यारे ते परमात्मा थया अने सिद्ध शिलानी उपर सिद्ध क्षेत्रमा रह्याछे अने त्यांथी पाछा दुनीयामां आववाना नथी. अने जगत्ना लोकोने दुःखमाथी बचावता नथी त्यारे तेमणे शो परोपकार को कहेवाय: तेना उत्तरमा समजवा के,
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