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अास्वरूप.
..) ___ण्यक तथा तैत्तिरीय श्रुतिमां काएंछे तेनुं केम-? उत्तर-ब्रह्म शब्दार्थनुं सम्यग ज्ञान न थवाथी तत्वनी प्राप्ति यती
नथी. केटलाक ' वादो ब्रह्म विषे सर्व जीवोनो लय थायछे. अने वळी ब्रह्ममाथी सर्व जीवो उत्पन्न थायछे एम समजी तत्त्व पामी शकता नथी कारणके-सम्यग् ज्ञान विना सम्यग क्रिया थइ शकती नथी. अने ते विना भवांतः थतो नथी. अर्थात् कर्मनो नाश करी मुक्तिपद पमातुं नथी. पण आत्मारूप ब्रह्मनो भावार्थ ज्ञानथी सम्यक समजनार कशाथी भय पामतो नथी. माटे सम्यग्दृष्टिपणुं प्राप्त थतां ए..
कांत हठ टळेछे. प्रश्न-श्लोक भियते हृदयग्रंथीः छियंते सर्व शंसयाः
क्षीयंते चास्य कर्माणि, तस्मिन् दृष्टे परावरे. १ ब्रह्मने साक्षात्कार जाणवाथी हृदय ग्रंथी भेदायछे. अने सर्व संशयो छेदायछे. कर्मो नाश पामेछे. ते ब्रह्मने देखता-आम
मुंडकोपनिषद् विगेरेयी जणायछे तोब्रह्मने असत्य केम कहेवाय? उत्तर-हेभव्यजीव हजी अमारु कथन तमाराथी समजायुनथी
ब्रह्मशब्दनो अर्थ ज्ञानवान् आत्मा अनेते ज्ञानीजीव प्रतिशरीर भिन्नभिन्न-तेमज कर्मरहीत ज्ञानीजीवो-व्यक्तिथी भिन्नभिन्नछे तेवारुपे अमो ब्रह्मने सत्य मानीएछीए-पणजे एक ब्रह्म अने तेमांथी जगत् पेदाथर्बु तेवा ब्रह्मशब्दना अर्थने अमो सत्यरुपे मानतानथी. तेनासंबंधे अत्रसंभाषण थायले -अत्रसमजवानुंके-सर्वत्र ब्रह्मछे, ब्रह्मथकीअन्य काइपदार्थ नथी एम मानवु ते ज्ञानविरुद्धछे-अने एम काइमानेतो तेमां अन्यनुं जोरनथी-पण समजवानुंके-उपरना श्लोकथी द्वैतपणानी पटले बे तत्व-जीव अने अजीव सेनी सिद्धि थायछे-अस्य
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