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( १७८ )
कमराजा अने राजानुं युद्ध.
उपर सत्ता चलावेछे के, बिचारा जीवने संसार एज सार मान्या विना छुटको थतो नथी. कर्म राजाजी अमारां दरेकनां पराक्रम नीचे मुजवछे ते सांगळो.
हूं मोह प्रधान अनादि काळथी आपनी कृपाद्रष्टि तळे हाजरछु. परभावरूपी झाळमां दरेक संसारी जीवोने में फसावी दीधाछे. एकेंद्रिय जीवो उपर पण मारी सत्ता व्यापेली छे, द्वीन्द्रिय जीवो उपर पण मारी सत्ता व्यापेलीछे, त्रीन्द्रिीय जीवो उपर पण हुं सत्ता चलाएं चतुरिन्द्रि जीवोपर पण मारा वशमांछे, पंचेंद्री जीवो चार प्रकारनांछे १ देवता २ मनुष्य ३तीर्यच ४ नारकी ए चार प्रकारना जीवो पण मारा आधीनछे, देवताओ पण देवीओ उपर मोहना पासथी आशक्त रहेछे. आ मारी देवी, आ बीजानी देवी, एवी मोह घशा करावनारछु, मारी उत्कृष्ट स्थीति मोहनीय, कर्मनी सित्तेर कोडाकोडी सागरोपमनीछे, नानुं बाळक तेनायां पण हुं व्यापिछं. युवावस्थावाळा जुत्रान पुरुषोमां तो हुं निर्भय पणे व्याप्त छु जो मोहना होय तो दरेक मनुयो संसारमां सार मानेनहीं, रात्री अने दीवस हूं दरेक जीवोनी साये व्याप्तछु, मोह मदथी बेला थयेला जीवो जाणी शकता नथो के अमो मोहना पाम छपडायाछीए-एवी मारी सत्ताछे जोगी जती, संन्यासी, गोसाइ, अतीत, फकीर विगेरे कहेछेके मोह खराबछे, मोह करना नहि एम बीजाने उपदेश आपेछे तेवा पुरुषोने पण हुं मारी मोह झाळमां फसावी दउंछु.
फकीर फकीराइ लेइ बेठा होय तोपण धन स्त्रीनामां हुं प्रवेशंकरी तेने ललचावी संसारमा पाई राजाओ के जे शूरवीरो कवाडे तेने पग स्त्री, धन, पुत्र, राज्य, विगेरेना मोहमा फसावी देउ. जे राजाओ सिंह समान शूरा होय छे, अने जे रणसंग्राममां हजारो मनुष्योने कापी नाखेछे, सेबाने पण हुं पुत्र मोहमा फसावी
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