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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२७६) कर्मराजा अने धर्मर जानुं युद्ध. दिनप्रतिदिन जीवो मोक्ष नगरीमा चाल्या जायछे. धर्म राजाना सुभटो आपणी नगरीना जीवोने समजावी पो. तानी नगरीमा खेची जायछे. मुख्यताए तेमां मोटो भाग जीवोने मोक्ष नगरीमा लइ जनार तीर्थकरोनोछे. अने तेमना कायदा प्रमाणे वर्तनार साधुओ एवा तो काबेलछे के-ते साधुओनी आगल आपणा क्रोधादिक शत्रुओर्नु कंइ चालतुं नथी. आपणा सुभटोने पण हरावी जीवोने पोते मोक्ष नगरीनो मार्ग जणावी आपणी नगरी खाली करेछे. हाय, हवे शुं करूं. अरे ओ मोह प्रधान तुं जलदी आपणा सुभटोने तथा मारा पुत्रने बोलाव, अने अविवेक सभामां कचेरी भर, मोहप्रधान कर्मराजानुं वचन अंगीकार करी सर्व सुभटोने बोलावी सभानी बेठक करी. कर्मराजा सभामां आवी ममता सिंहासन उपर विराजमान थया. हवे कर्मराजा पोताना सर्व सुभटोने तथा पुत्रपुत्रीओने नीचे मुजब वचनो कहेले के . असे मारा मोह प्रधान तुं मारो प्रिय प्रधानले. हिंसातो मारी बेनछे.. निंद्रा मारी पुत्रीछे, अज्ञान मारो पुत्रछे, चउदराज लोकन राज्य आपणा ताबामांछे. आपणुं राज्य अनादिकाळथी संसार नगरमा चालेछे. सर्व जीवोने आपणे पोताना वशमां राखी धर्म राजानी मोक्ष नगरीमा लेइ जवा देवा नहि. ते तमारी मुख्य फरजले. आपणुं राज्य घटे नहि ते तमारे ध्यानमां लेबु जोइए. - मारा सुभटो सांभळो ! आपणो मोटो शत्रु धर्म राजाले. ज्ञान दर्शन चारित्र ए त्रण एना पुत्रछे. धर्म राजानो उपयोग रूप प्रधान छे, क्षांति,आर्जव,मार्जव,मुक्ति,संयम,सत्य, शोच, आकिंचन, ए. दश धर्म राजाना अत्यंत बळवान सुभटोछे, समकित रूप धर्म राजानो पुत्र एवो तो बळवानछे के जेनाथी आपणो मिथ्यात्व सुभट रण संग्राममां भागी जायछे, पंच महाव्रत रूप जोद्धाओ एवातो बळवा . .. For Private And Personal Use Only
SR No.008627
Book TitleParmatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages432
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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