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(11)
केशी भने प्रदेशीनो संवाद.
चिनना
जीवा राजन
सरखो होय तो पराक्रम पण एक सरखं हो, जोइए, परा' क्रममा भिन्नता छे माटे समलक्षणयुक्त जीवो कहेवाय नहीं
अने ते विरोध प्राप्त थतां शरीरथी जीव भिन्न सिद्ध थतो नयी. केशीकुमार-एक पुष्ट अने मोटुं पंखी होय ते जेटला भारतुं उद्वहन करे तेटलो भार दुर्बल नाना पंखीथी उपडातो नथी. त्यां शरीर शक्तिरूप साधननो अभाव हेतु छे. मोटा पंखीमां शरीरशक्ति विशेष, नाना पंखीमां शरीरशक्ति अल्प तेथी तेना जेटलो भार उपाडी शकातो नथी. किंतु जीवो तो सर्व समलक्षणवंत छे, माटे समलक्षण जीवोनुं छे एम हे राजन्
तुं जाण. प्रदेशी-हे भगवन् में जीवता चोरने तुलामां जोख्यो, पश्चात् गळे पाशथी मारी नाख्यो, मरेलाने पश्चात तुलामां आरोही जो. ख्यो तो पण प्रथम जेटला भारनो हतो तेटलोज रह्यो, टंक प्रमाण पण हीन थयो नहीं, तेथी में विचायु के जो देहथी जीव भिन्न होय तो जीवनो अपगम थतां मृतक चोर शरीर करी हीन थर्बु जोइए पण थयुं नहीं, तेथी सिद्ध ठर्यु के-जीव
देहनी ऐक्यता छे. केशी-चामडानी धमणमां वायु पुरीने जोखवी, अने पश्चात् वायु
काढी नांखी जोखवी, वायु पुरीने जोखेली धमण करतां वायु काढी नांखी जोखेली धमणमां वारु भारनी न्यूनता
थाय छे ? प्रदेशी-हे भगवन् ना भारमा कंइ न्यूनता थती नथी. केशी-जो त्यां भार वधतो नथी तेम घटतो नथी तो अमूर्त आ.
मानो देहमां शो भार होय ? के जेथी जीव नीकळ्या पश्चात्
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