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परमात्मदर्शन.
(१३) थाय ? किंतु द्वार विना पण अरूपी आत्मानो प्रवेश थाय छे
एम सद्दहवें जोइए. (इति चतुर्थ प्रश्नोत्तरं) प्रदेशी-हे भगवन् तमारी युक्ति प्रमाणे तो समलक्षणयुक्त सर्व
जीवो छे ते घटतुं नथी लक्षणनी साम्यताए सर्वमां सरखं बल होवू जोइए ? ते प्रत्यक्ष प्रमाण विरुद्ध छे जे कारण माटे बालके छोडेलो बाण नजीक पडे छे, अने तरुगे छोडेंलो बाण दूर पड़े छे. ए सर्व जीव देहनी ऐक्यताए घटे छ, लघु शरीरे लघुबल, मोटा शरीरे बल पण महत् माटे सर्व जीवोमां लक्षण साम्यताए समबलत्व अयुक्त छे माटे मारी प्रतिज्ञा
सत्या समजवी. केशी-कोइ बलवान् तरूण पुरुष प्रत्यंचा चढावी बाण फेंके ते
ज्यां सुधी भूमि उल्लंघे. ते ज धनुष्य चढावी बालक बाण फेंके ते युवान पुरुषे फेंकेला बाणे जेटली भूमि उल्लंघन करी
छे तेटली भूमि आ उल्लंघन करे के नही ? । प्रदेशी-ते बाण आसन्न भूमीमां पडे पण पूर्वोक्त पुरुषं फेंकेलं
बाण तेना जेटली भूमी अवगाही शके नही ? केशी-भला तेमां शो हेतु ? प्रदेशी-साधन वैकल्य तेमां हेतु छे. केशी-बालनुं शरीर निर्बल साधन छे धातुओना अपुष्टपणाथी,
पृष्ट शरीर सबल साधन छे ते माटे सर्व जीवोमां लक्षणनी
साम्यता अंगीकार कर. (इति पंचम प्रश्नोत्तरं) प्रदेशी-तमोए जीवोमां समलक्षणपणुं कर्तुं ते असन् छे, कारण
के युवान अने बालकनी शक्तिनी (पराक्रम) भिन्नता छे. बाळकनी शक्ति अल्प छे, युवाननी विशेष छे. जो जीव एक
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