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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परमात्मदर्शन. (१२५) अनंतगुणा अधिक परमाणु मले त्यारे उपरनी वर्गणाओ अनुक्रमे थाय एटले पहेलीथी बीजी वर्गणा. बीजीथी त्रीजी, त्रीजीथी चोथी, अने चोथीथी पांचमी,अने पांचमीथी छठी,छठीथी सातमी,मनोवर्गणा थी आठमी कार्मण वर्गणामां अनंतगुणा परमाणु अधिक जाणवा आठ वर्गणाओमां औदारिक, वैक्रिय, आहारक, अने तैजस, ए चार वर्गणाओ बादरछे. ए चारवादर वर्गणाओमां पांच वर्ग वे गंध, पांच रस, अने आठस्पर्श, ए वीश गुग जाणवा. तथा भाषावर्गणा. श्वासोश्वास वर्गगा तेम मनोवर्गणा ए चार वर्गणा सूक्ष्मछे, ए चार सूक्ष्मवर्गणामां पांच वर्ण, वे गंध, पांच रस, अने चार स्पर्श, ए सोल गुण रहाछे, अने एक परमाणुमा एक वर्ण एक गंध, एक रस, अने बे स्पर्श, ए पांच गुणछे. ए अष्ट वर्गणा संसारी आत्माने लागीछे. अने तेमां पण समये समये उत्पाद व्ययधुवता परिणमी रहीछे. ते वर्गगामां पण अगुरू लघुथी षड्गुण हानिद्धि समये समये परिणमी रहीछे. ए आठ वर्गणामां आत्मानुं कंइनथी. पुद्गलद्रव्य अने आत्मद्रव्य बे भेगां थइ परिणमेछे-पुद्गल परमाणुआ अनंतछे. हवे प्रसंगे पुद्गलनुं स्वरूप लखेछे - पुद्गलस्वरूप, वर्गादिक गुणो वृद्धि पामे. गळी जाय. खरी जाय एवो जेमां स्वभावछे. तेने पुद्गलास्तिकाय द्रव्य जाणवू. मूलद्रव्य पुद्गलास्ति. काय परमाणुरूप अवबोधकुं-द्वयणुक आदि जेटला स्कंधछे तेनुं मूल कारण जाणवू. एटले घट,पट, दंड, चक्र, वस्त्र, पात्र, कपाट, इंट, प. त्थर. आदि पुद्गलनी आकृतियो- मूळ उपादान कारण परमाणुओ छे.तेवा रूपे परमाणुआ परिणम्याछे, बीना पण तेमां निमित्त आदि कारणो मळेछे. छ प्रकारनां पुदगल स्कंधो छ १ बादरवादर २ बादर ३ बादरमुक्ष्म ४ सूक्ष्मवादर ५ सूक्ष्म ६ सूक्ष्मसूक्ष्म.. For Private And Personal Use Only
SR No.008627
Book TitleParmatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages432
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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