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(२५)
अन्य दर्शननो जैन तत्वमा समावेश.
स्तिकाय. ए बे द्रव्य पण मानवां जोइए. तथा केटलाक संसार चक्रनो कर्ता एक परमेश्वर मानेछे. ते पण मृषा समजवू. निर्मल राग द्वेषातीत प्रभु, विभु, परमात्मा, परना सुख दुःखनो कर्ता थाय नहीं. वळी जगत्कर्ता इश्वर नथी. एनो विस्तार अग्रे कर वामां आवशे. हाल तो आत्मानुं स्वरूप वर्णवनांप्रसंगे अन्य चर्चा चाली. हवे आत्म स्वरूप विषयतुं वर्णन करीए. आपणे नक्की समजवू के आत्मद्रव्य बीजां पंचद्रव्यथी न्यारुछे. अनादि कालथी अशुद्ध परिणतियोगे पुद्गलद्रव्यने परमाणुओ तेना स्कंधो कर्मरूप परिणमी आत्मानी साथे क्षीरनीर पेठे परिणम्युंछे. मन, वाणी, लेश्या, शरीर, संस्थान ए सर्व पुद्गल समजवु. अष्टकर्मनी वर्गणाओ पण पुद्गलछे.
अष्ट वर्गणानुं स्वरूप लखेछे. औदारिकवर्गणा, वैक्रियवर्गणा, आहारकवर्गणा तेजसवर्गणा, भाषावर्गणा, श्वासोश्वासवर्गणा, मनोवर्गणा, कार्मणवर्गणा, बे परमाणु भेगा थाय त्यारे द्वयणुक स्कंध कहेवायछे. त्रण परमाणु भेगा थाय त्यारे व्यणुक स्कंध थाय. एम संख्याना परमाणु मिले त्यारे संख्याताणुकस्कंध थाय. तेमज असंख्याता परमाणुआ भेगा थाय त्यारे असंख्याताणुकस्कंध थायछे, तथा तेमज अनंतपरमा णुओनो स्कंध थायते अनंताणुकस्कंध थाय, एटला सर्व स्कंध ते जीवने ग्रहण करवा लायक नथी, पण ज्यारे अभव्यथी अनंतगुण अधिक परमाणुओ भेगा थइ जे स्कंध थाय. त्यारे तेनी औदारिक शरीरने लेवा योग्य वर्गणा थाय.
एमज औदारिकथी अनंतगुणा अधिकवर्गणामां दल भेगा थाय. तेवारे वैक्रियवर्गणा थाय. वळी वैक्रियथी अनंतगुणा परमाणु मळे त्यारे आहारकवर्गणा थाय एम सर्व वर्गणाना एकेकवी
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