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जगत् में जो भी मूल्यवान है --- जीवन, आत्मा, परमात्मा - उसका अविष्कार स्वयं ही करना होता है । उसे किसी
और से पाने का कोई उपाय नहीं है ।
मोक्ष जीवन का वह सम्पूर्ण विकसित रूप है, जिसे प्राप्त करने के बाद उन जन्म - मरण की उलझनों का अन्त सदा के लिए हो जाता हैं, जो संसार में रहने पर हम से जुड़ी
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