________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ज्ञानामृत आगल वर्धा, औषध व्यथ सदाय, दोष टले आत्मा तणा, अनुभव ज्योति जणाय ॥२॥ ज्ञान तणुं वर्णन करे, शारद देवी सदाय; तोपण आखा भव विषे, संपूर्ण नव थाय ज्ञानचिन्तामणि कर ग्रह्यो, शुं नाणानुं काम; अवनीमां उत्तम थयो, पूर्ण काम अभिराम ॥४॥ ज्ञान वडे आ विश्वमां, शिव जीवनो थइ जाय; ए ज्ञाने उत्तम यया, बुद्धीश्वर सूरिराय
॥९॥ ढाल-वीर कुंवरनी वातडी कोने कहीए, ए राग. हारे ज्ञान पाम्यारे ज्ञान पाम्या, हारे बुद्धिसागर सार; अनुभव उत्तम पामीया, ज्ञान पाभ्या०-ए टेक० शुद्ध ज्ञानरूपी फल चाखीने, रस पीधो,
हारे रस पीधोरे रस पीयो हारे ज्ञानामृत निरधार, अनुभवसागर उच्छल्यो. ज्ञान०॥१॥ जेम सर्वे नदीयो वही जाय छे, सिन्धु हामी;
हारे सिन्धु हामी रे सिन्धु हामी, हारे एवं आपनुं ज्ञान, सर्वे धर्मों वस्तु एक छे; ज्ञान० ॥२॥ नव करशो निंदा तमे कोईनी, सवळू समजो,
हारे सवल समजोरे सवलु समजो; हारे समकित उपदेश, आत्मापरात्मा एक छे. ज्ञान॥३॥ तमो समदर्शी सद्गुण भर्या, संत साचा,
For Private And Personal Use Only