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फलोदी मंडनश्री पार्श्वनाथजी स्तवन
तुमेतो भले विराजोजी, शामलीयापार्श्वनाथ-एराग, स्वामी पार्श्व ! हमाराजी, प्रभुजी पार्श्व हमाराजी हमपे दया नजरसे रेना. स्वामी० १ अश्वसेन राजाका लडका, बनारसीमे रहेता, दर्शन करनेवाले जनका, दोष निवारी देता.स्वा०२ जलता नाग बचाया तुमने, धरणी इन्द्र बनाया, हमेरी रक्षा जैसी करना,शरण तुमारी आया. स्वा। अहि लांछनकी शोभा भारी, श्यामवर्णकी कान्ति, स्वामी हमको सेवक जानी, हरना भवकी भ्रान्ती. मयुर मेघकी जैसी प्रीति, एसी हमपर रखना. आप चरणका भक्त जनोमें, नाम हमारा लिखना. अजितसूरिका शिष्य हेमकी, अरजी अंतरधरना. फलोदी गामके मांघे मालीक!, हरकत भवकीहरना।
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