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इस सदी के विद्वान. मुनिवर श्री दर्शनविजयजी (त्रिपुटी) महाराज श्री गौतमस्वामी के स्तवन में कहते है :गौतम नामे भवभीड हरिये, आत्मभाव संवरिये। कर्म जंजीरीये बांध्या छूटे, उत्तम कुल अवतरिये ।।
गौतमस्वामी के स्तवन के रचयिता वर्तमान आचार्यश्री विजयसुशीलसूरिजी म. सा. कहते हैं :गौतम स्वामी जगगुरु, गुणगणनो भंडार लालरे । अनन्त लब्धिनो ए धणी, आपे अक्षय सुख अपार लालरे ।।१।।
वाचक शान्तिचन्द्र गणि कहते है :तियसकयकणयपउमे, पउमासण संठिअं पवरपउमे । नमिउं जिअतिअसगुरुं सिरि गोयमगणहरं सुगुरुं ।।१।।
अन्य :एकादशाऽऽसन् गणधारि धुर्याः, श्रीइन्द्रभूति प्रमुखा अमुष्य । आर्योपयामे पुनराप्तमूर्ति, रुद्राः स्मरं हन्तुमिवेहमानाः ।।१।।
लब्धि अट्ठावीस धरी, गुरु गोयम गणेश । ध्यावो भवि शुभ करूं, त्यागी राग ने रीस।।
PRAM
PRANA
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