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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आतमनूर. दलाली लालनकी. ए राग. मेरा आतम आनन्द नूर, अमीरस छायरहा; हम लालन मस्त फकीर, अमीरस पान लहा. आतम है परमातमारे, जो शोधे सो पाय; आपोआपहि आतमारे, ज्ञानानन्द सुहाय. दुनिया भूली दिलमेरे, खोजो हजराहजूर; प्रेमी ज्ञानीकुं प्रभु मिलेरे, वरसत आनंदनूर. तिलमें तैल रु काष्ठमेरे, अनि रहा जुं समाय: देहमें आतम प्रभु त्युहिरे, देखो नयन मिलाय. ब्रम चिदानंदमय प्रभुरे, निरखी हुवा मस्तान; बुद्धिसागर आत्ममेरे, हुवा परमगुल्तान. अमी०१ अमी०२ अमी० ३ अमी०४ मनुष्यो परमेश्वर दिल धरना. सोरठ. मनुष्यो!!! परमेश्वर दिल धरना, न्याय नीतिका वर्तन करना; धर्म कर्म आचरना. ................मनुष्यो. स्वार्थ वैर आदि दोषोकुं, प्रगटभये परिहरना; हिंसा न करनी जूठ न कहना, दया सत्यकुं धरना. मनुष्यो . १ चोरी अरु व्यभिचार न करना, पापयुद्ध परिहरना; जूठा सोगन कबहु न खाना, आतमघात न करना. मनुष्यो. २ दुर्गुणव्यसनोमें न फसना, सद्गुणगण दिल वरना; बुदिसागर प्रभु गुरुधर्मकी, सेवाभक्ति सुधरना. मनुष्यो. ३ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
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