________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अमारी फको मस्ती भरेली.
सोरठ. अमारी फकीरी मस्ती भरेली, दुनियावाते डहापण नहि व शु.
आंतर आनंद हेली........................अमारी० परमातम परमेश्वररूपमा, चेतना मरत बनेली%3B दुनियादारी दूरे ठेली, ईश्वर एक छे बेली. अमारी०१ मनोरत्ति प्रेमे थै चेली, सुख लही थै छे छकेली; रही नहि मननी ठेलाठेली, वासना वेगे मरेली. अमारो० २ स्वतंत्रता निर्भयता केलि, ज्ञान वसंत फुलेली; बहिरातमत्ति न रहेली, प्रभुरूपत्ति ठरेली. अमारी० ३ बुद्धि थै प्रभु पामतां घेली, ति रहीं नहि मेलो; अनुभवप्रज्ञा प्रगटी फेंली, प्रगटी वधाइ वहेली. अमारी०४ मतपंथदर्शनथी बैठेली, चेतना ब्रह्ममां खेली: बुद्धिसागर मस्त फकीरी, प्रगटी लाली भरेली.
अमारी०५
.........आतम.
बातम धर्म है आनंदज्ञाना.
सोरठ. आतम धर्म है आनंद ज्ञाना, पुण्ण पाप दो धर्म है न्यारा, जाने सो जैन माना.. पुण्यसें सुख यश पूजा होक्त, पापसे दुःख अपमाना; आत्मधर्म द्रोनोसे जूदा, समजे कोउ श्याना. आतम. १ पुण्य पाप दो पुद्गलबाजी, संध्यारागसमाना; पुण्य पाप स्वमेकी माया, मोहसें नाहि मुंझाना. बातम. २ राग त्याग दो मनका योग है, अंतर्से भिन्न जाना; बुद्धिसागर आत्मधर्ममें, हुवा हम मस्ताना.
-
For Private And Personal Use Only