SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लायक थे अम पासे आवो, तो फकड थै फरशो पाणीयारा मुन्सी जेवा, पासे पग नहीं धरशो. अमारो. ३ दुनियामां जीवंतां मरीने, अम पासे संचरशो; दुनिया भूलो तो अम पासे, नहि तो नाहक मरशो. अमारो. ४ मुज रीझवतां दुनिया खीजशे, श्रद्धावण नहीं ठरशो काळना मार्या क्यारे न मरशो, समजी संग जो करशो. अमारो. ५ आतमरूपे अमने जाणी, मन देह जग विसरशो बुद्धिसागर अंतर आनंद, आतमसंगति वरशो. अमारो. ६ आतम मनइन्द्रिय बश करना. सोरठ. आतम ! ! ! मनइन्द्री वश करना, जबतक मनइन्द्री बश नहीं है। तबतक नहीं है तरना....................आतम० इन्द्र चन्द्रकी पदवी सहल है, सहल है नभमें फिरना; मनइन्द्रीकुं जीतना दुर्लभ, सहल है पढना गुणना. आतम० १ मनइन्द्रीके मोहसें मरना, चारगति अवतरना; आतममें नहि होत उतरना, दुःख दावानल जलना. आतम० २ आतमज्ञानसें मनइन्द्रीकु, वशकर मुक्ति वरना; पुद्धिसागरब्रह्मस्वरूपी, उपयोगे मुख धरना. आतम०३ आतमअनुभव विरला जाने. सोरठ, आतमअनुभव विरला जाने, मरजीवा अलमस्त फकीरो; आतमरसकुं पाने....................आतम० वेदागम बाइबल कुरानकुं, पढकर प्रभु न पिछाने; राग रोष काप दूर करे तब, आपोआप पहिचाने. आतप० १ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy