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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आतम नाम अनेक विचारो. ____ आशावरी राग, आतम नाम अनेक विचारो, नाम प्रभुना अनेक जाणो; ज्ञानानन्द अर्थ धारो... .....................आतम० समज्यावण नाम रागने जापथी, आवे नहीं भवपारो; फोनोग्राफनी पेठे बोलो, टळे न दिल अंधारो. आतम. १ असंख्यमदेशी आतम जीव छे, रामने रहिमान पोते; अरिहंत अल्ला हरिहर ब्रह्मा, बुद्ध स्वयं निज गोते. आतम. २ ज्ञानने दर्शन चरणस्वरूपी, आतमने ब्रह्म कहीए; देहदेवळमां देव छे पोते, घट घट आतम लहीए. आतम. ३ उत्पत्ति ते ब्रह्मा कहीए, व्यय तेने हर कहीए; ध्रुवता विष्णु आतम पोते, अनेकरूपे वहीए. आतम. ४ ॐ अहं सोऽहं महावीर जिन, तत्त्वमसि प्रभु प्यारो देहमा व्यापक नूर अनंत, आतम अलख निर्धारो. आतम. ५ आतमनी पूरणशुद्धि ते, परमातम ऊजियारो; बुद्धिसागर नामी अनामी, आतम अर्थ विचारो. आतम.६ हमारो संग न कोई करो. सोरठ. अमारो संग न कोई करशो, समज्यावण अमसंग करंतां; खत्ता खाइ रखडशो.......... ..अमारो० गुरु करे ते कोई न करशो, गुरु कहे तेम करशो काया पोचा पासे न आवो, ओडनुं चोड घेतरशो. अमारो. १ काचो पारो खाइ पचावो, तो अमसंग विचरशो; सहु दर्शननयज्ञान अपेक्षा, समजी मुखने वरशो. अमारो. २ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
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