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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५ हमेरा आतमरूप है जाना. आशावरी. हमेरा आतमरूप है जाना, नामरूपकी माया न हम है; सबका साक्षी है माना............................हमेरा० जाग्रत् स्वम सुषुप्ति न हम है, हम नहि श्याना दिवाना; सर्व जगत्का हम है प्रकाशी, सत्ताए एक सुहाना. हमेरा० १ एक अनेक न एक अनेक है, जाना कथेसें न जाना; सदसद्रूपी तुर्यातीत है, परमेश्वर परमाना. हमेरा० २ जडमें त्यागग्रहणकी न बुद्धि, त्यागका त्यागकुं माना; जडचेतन सब जगमें समता, पूर्ण स्वरूप पहिचाना. हमेरा० ३ मेरा तेरा है नहि जग कछु, है नाहि मानापमाना; बुद्धिसागरप्रभुमस्ताना, आनंदरस गुल्ताना. हमेरा०४ - माया.१ मायावस्त्र खरी पडयुं. राग मारु. निशदिन जोउतारी वाटडी ए राग. मायावस्त्र खरी पडयु, थयो आतमा नागो; लाज न मर्यादा रही, शुद्ध उपयोगे जाग्यो. नागानी शहेनशाहीनी, कोइ आवे न तोले; आनन्दरस घेरायली, आंखो घेनमां डूले. लघु बालकवत् आतमा, निर्दोषी खेले सर्वविश्व प्रिय थइ पडयो, शुद्धप्रेमी न ठेले. प्रकृति पहेलां वधू हती, मातासम थै बेठी; निर्भोगी थयो आतमा, बुद्धि अंतर पेंठी. माया. २ माया.३ माया,४ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
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