________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हमकुं ऐंसी निद्रा आ.
आशावरी. हमकुं ऐसी निद्रा आइ, जामें दुनियादारी भूली, ममता सब बिसराइ................................हमकु० ध्याता ध्येय अरु ध्यानकी वृत्ति, विलयपनाकुं पाइ; ऐसी अवधूत निद्रा पाकर, आनन्दन छवाइ. हमकुं० १ नामरूपकी वृत्ति नहि कछु, मरण जीवन कुछ नाहि मन तन देहका भान नहि कछु, त्रिगुणातीतता छाइ. हमकुं० २ आधि व्याधि उपाधि नहि कछु, निद्रा समाधि सुहाइ; बुद्धिसागरचिदानंदघन,-रससें अखियां घेराइ. हमकुं० ३
आतम ! साक्षी होकर रहेना.
__ आशावरी. आतम ! साक्षी होकर रहेना, नाम रु रूपमें है अरु नाहि उसमें न लेना न देना............................आतम० अस्ति नास्तिमय तुं है आतम, सर्वविश्वरूप चेना: आपोआप समर प्रभु तु है, प्रकट है आनंदघेना. आतम० १ सर्वका साक्षी आतम ! तुं है, वाच्य अवाच्य तुं है ना; अज अविनाशी अलख अरूपी, व्यापक ज्ञानसें कहेना. आतम० २ तेरी गति आतम ! तुहि जाने, हुतुवृत्ति न बहेना; बुदिसागर ब्रमस्वरूपी, पूर्णचिदानंद चेना.
आतम०३
For Private And Personal Use Only