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भये हम आतम मस्त दिवाना.
आशावरी. भये हम आतम मस्त दिवाना, दुनियाकी हमकुं नहि परवाह सब जग नाटक माना............................भये. दुनियाका अभिप्रायमें हमने, हर्ष शोक नहि माना; प्रभुमस्तीमें हम मस्ताने, हम नहि पागल श्याना. भये०१ प्रभुस्वरूप हम किसकुंगाना, रहा नहि कछु छाना;
आतम आपोआप प्रकाश्यो, किसका करना ध्याना, भये० २ प्रभुमस्तीकी दिवानीमें, दिल दिल्दारकुं जाना; पारधे देहादिक वर्तन, होवत पीना खाना. भये. ३ दुनियासे आतमका खेलो, न्यारा सत्य पिछाना; बुद्धिसागरब्रह्मचिदानंद, रसमें है गुल्ताना. भये०४
. आतम!!! सबसे हिलमिल चलना. आतम ! सबसे हिलमिल चलना, आतमसम सब जगजीवो है; प्रभुपयजीवन धरना.... .......................आतम० नरनारी सब बाह्य भेद है, आतमरूप समजना; हिंदु मुसल्मीन स्त्रीस्ति बौद्धो, आतमरूप समरना. आतम०१ देश जातिका भेदकुं मिथ्या, मानी सबसे मिलना; शुद्धप्रेमसे सर्व जीवोंकी, साची सेवा करना. आतम०२ धर्मभेदमें समता धरना, मोहसे है जग मरना; आतमरसका रसिया होकर, शुद्धब्रह्मकुं वरना. आतम०३ आतमशुद्धिसें है मुक्ति, पक्षपात नहि करना; निर्गुण आतममस्तीकुं वरना, भवसागरकुं तरना. आतम०४ भोजनपाणी सबकुं देना, ज्ञानसें जग उद्धरना; बुद्धिसागर चिदानंदरस, पीकर जीवन धरना. आतम०५
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