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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भये हम आतम मस्त दिवाना. आशावरी. भये हम आतम मस्त दिवाना, दुनियाकी हमकुं नहि परवाह सब जग नाटक माना............................भये. दुनियाका अभिप्रायमें हमने, हर्ष शोक नहि माना; प्रभुमस्तीमें हम मस्ताने, हम नहि पागल श्याना. भये०१ प्रभुस्वरूप हम किसकुंगाना, रहा नहि कछु छाना; आतम आपोआप प्रकाश्यो, किसका करना ध्याना, भये० २ प्रभुमस्तीकी दिवानीमें, दिल दिल्दारकुं जाना; पारधे देहादिक वर्तन, होवत पीना खाना. भये. ३ दुनियासे आतमका खेलो, न्यारा सत्य पिछाना; बुद्धिसागरब्रह्मचिदानंद, रसमें है गुल्ताना. भये०४ . आतम!!! सबसे हिलमिल चलना. आतम ! सबसे हिलमिल चलना, आतमसम सब जगजीवो है; प्रभुपयजीवन धरना.... .......................आतम० नरनारी सब बाह्य भेद है, आतमरूप समजना; हिंदु मुसल्मीन स्त्रीस्ति बौद्धो, आतमरूप समरना. आतम०१ देश जातिका भेदकुं मिथ्या, मानी सबसे मिलना; शुद्धप्रेमसे सर्व जीवोंकी, साची सेवा करना. आतम०२ धर्मभेदमें समता धरना, मोहसे है जग मरना; आतमरसका रसिया होकर, शुद्धब्रह्मकुं वरना. आतम०३ आतमशुद्धिसें है मुक्ति, पक्षपात नहि करना; निर्गुण आतममस्तीकुं वरना, भवसागरकुं तरना. आतम०४ भोजनपाणी सबकुं देना, ज्ञानसें जग उद्धरना; बुद्धिसागर चिदानंदरस, पीकर जीवन धरना. आतम०५ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
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