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नहि हम मरते नहि हम जीते, प्राण न वायु पसारा; नहि हम भोगी नहि हम जोगी, नहि मन नहि अवतारा. अ०४ निश्चयनयसें आतम ऐंसा, कोउ न पामत पारा, बुद्धिसागर अलख अरूपी, आतमरूप अपारा. अवधूत० ५
दुनिया हमकुं न कबंहि पिछाने.
सोरठ वा आशावरी. दुनिया हमकुं न कबहि पिछाने, अलख निरंजन आतम हम है। बान बिना क्या जाने........................दुनिया० मन इन्द्री कायामें भूली, मायाकुं ब्रह्म माने, देहवेष में हमकुं जाने, मुंझे मिथ्याज्ञाने.
दुनिया०१ पंचविषयमें दुनिया डूली, भूखी भरिया भाणे आप आपका मतमें मश्गुल, क्या पागल क्या श्याने. दुनिया० २ आतमझानी होय सो हमकुं, आतमरूपे जाने बुद्धिसागर दिलमें परगट, परमेश्वरकुं प्रमाने. दुनिया० ३
आतम ! स्वर्ग नरक मन माना.
राग आशावरी. आतम!!! स्वर्ग नरक मन जाना, सब दुःखका मन गना. आ० कबहु मन होवत है श्याना, कबहु होता दिवाना; शुभाशुभ मन कल्पना माना, मनका न ठाम ठिकाना. आतम!!!१ मनवृत्तिका नाशसे मुक्ति, परमानंद पद पाना, पुद्धिसागर प्रभु मस्ताना, ठरता ठाम ठिकाना. ... आतम!!२
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