SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ए कर्म छे अने परिणामे बंध छे, माटे आत्मज्ञानना उपयोगी बनी आत्मानो प्रत्यक्ष अनुभव करवो मनुष्य जन्मनुं ध्येय ए छे के आत्माने परमात्मारूपे प्रकटाववो, अनुभवयो अने सर्वकर्म दुःखथी मुक्त थq. अज्ञानीओ क्रियाथी बंधाय छे अने आत्मज्ञानीओ क्रिया करीने कर्मथी मुक्त थाय छे. ज्ञानीना वचनथी हलाहल विष पीयूँ अने आत्माना अज्ञानीना वचनथी अमृत पण न पीवु. आत्मज्ञानीनी सर्व धर्म व्यवहार करणी मोक्षार्थे थाय छे. आत्मज्ञानी सर्वमा प्रवृत्ति करतो छतो पण सर्वथी निःसंग छे अने अज्ञानी सर्वथी बाघदृष्टिए निःसंग अक्रिय छतां आसक्त-कर्मबंध सहित छे, माटे अध्यात्मज्ञाननी दशाप्राप्त करवा एक क्षण पण प्रमाद न करवो. आध्यात्मिक भजनो पछी पत्र १३६ थी शोकनिवारक ग्रन्थ छे अने पत्र ५४ मां चेटक चोवीशी ग्रन्थ छे. पत्र १४८ मां संघ कर्तव्य ग्रन्थ छे तथा पत्र १५७ मां प्रजा समाज कर्तव्य ग्रन्थ छे ते ग्रन्थो अध्यात्मिक दृष्टिनी कल्पनाए आध्यात्मिक पात्रोनी रचना करीने स्वबुद्धि कल्पना अनुमारे रच्या छे तेथी तेमां जैन शास्त्रोनी शैलीथी कंइ विरुद्ध लखायु होयतोश्री चतुर्विध संघ आगळ मिथ्या दुष्कृत दउर्छ अने गीतार्थाने ते मुधारवानी विज्ञप्ति करुंछु अने जे कइ विपरीत होय ते भागने बहिष्कृत करवा विज्ञप्ति करूं छु. जे सज्जनोने ग्रन्थ वांचतां जे कंइ शंका पडे वा तेओने जैनशैली विरुद्ध लागे तेनो खुलासो लेवानी इच्छा होय तो तेओए रुबरुमा मळी खुलासो करवो वा पत्रद्वारा खुलासो करवो. ज्यां सुधी शरीरमां आत्मा छे त्यां सुधी लेखक सर्व बाबतना खुलासा करवाने वाचकोने विज्ञप्ति करे छे. मुनियोनो अधिकार के के तेओए संघ अने प्रजाना कर्तव्य प्रगतिना ग्रन्थो रचवा अने ते संबंधी में गजा उपरांत कंइक किंचित् प्रयत्न कर्यो छे तेमांथी सज्जनो योग्य लागे ते ग्रहशे एवी आशा छे. For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy