________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सुनिनी सर्व धर्म प्रवृत्तिमा अध्यात्म ज्ञान भर्यु होय के फक्त ते समजवानी जरुर छे. अपने पच्चीशसत्तावीश वर्षथी अध्यात्म ज्ञान तरफ लक्ष्य वृत्ति बळी छे अने अमोए अध्यात्म ज्ञाननां तथा द्रव्यानुयोगनां तथा योगनां जैनधर्म संबंधी तथा जैनेतर धर्मों संबंधी हजारो पुस्तको वांच्यां छे अने गुरुनी शेवा भक्ति करीने तथा गुरुनो आशीर्वाद लहीने गुरु कुलमां रहीने अध्यात्म ज्ञानने कंइक आत्मस्वरूपे पचाववा प्रयत्न कर्यो छे तेथी आत्माना उपयोगमां चढतां अध्यात्म ज्ञाननी भावनाना उछाळाओ प्रगटतां अध्यात्म ज्ञाननां जे जे भजनो पदो प्रगटयां होय ते तेवा अधिकारीओमाटे दिशि दर्शक छे पण तेवी दशा जेओनी न थइ होय तेओए तो ते तरफ रुचि राखवी अने पोताना अधिकार प्रमाणे धमेक्रियामां प्रवृत्ति करवी अने एवी दशा प्राप्त करवा माटे तीवेच्छा राखवी पण ते दशा आव्याविना मारा जेवार्नु अनुकरण करवू ते एकांत हितावह नथी. तेमज गीतार्थ गुरुनी सलाह लीधाविना कंइ पण तेमां प्रति वा निवृत्ति न करवी, एवी स्वानुभवथी सूचना आपुं छु. केटलाक शुष्क ज्ञानीओ पोतानी दशा अध्यात्मज्ञान परिणति थयाविना धर्मनी क्रियायोनो त्याग करे छे अने अन्योने पण तेओ धर्मनी क्रिया-कार्योथी भ्रष्ट करे छे ते योग्य नथी. आत्मज्ञानीओ कर्मयोगीओ बने छे अने. अंतर्मा आत्मोपयोगे वर्ते छे ते बाबतनुं विशेषस्पष्टीकरण श्रीआनंदघन पद भावार्थसंग्रहमां अने कर्मयोगग्रन्थमां करवामां आव्युं छे तथा योगदीपकग्रन्थमां तथा गयसंग्रह तेमज पत्रसदुपदेश प्रथमभागमां तथा पत्रसदुपदेश बीजा भागमां करवामां आव्युं छे, तेथी विशेष जिज्ञासुओर ते ग्रन्थो वांचीने विशेष खुलासो मेळववो.
गीतार्थगुरुनी आज्ञा प्रमाणे वर्तीने अध्यात्मज्ञान मेळववाथी आत्मानुं स्वरूप अनुभवाय छे. वर्म परीक्षामां श्रीमद् उपाध्याये ते माटे नीचे प्रमाणे कयुं छे.
For Private And Personal Use Only