________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गुण अने रजोगुण साथै अध्यात्मज्ञान व छ भने साविकगुण साथे अध्यात्मज्ञान वर्ते छे. तमोगुण अने रजोगुण रहित सात्विक गुण सहित जे अध्यात्मज्ञान प्रगटे छे ते स्वपरनी विशेष उन्नतिकारक होय छे. तमोगुण रजोगुण अने सन्चगुणथी पण आत्मा न्यारो छे. त्रिगुणीमाया ते नर्तकी समान छे अने ते प्रकृति छे, तेज कर्म छे, तेनाथी पुरुष अर्थात् आत्मा न्यारो छे एम जे आत्माने अनुभवे छे ते आत्मानी शुद्धि कर छे. सातनयोनी सापेक्षाए आस्मानुं ज्ञान करवू ते सम्यग्ज्ञान अर्थात् आत्मज्ञान छे. एवां आत्मज्ञाननां पदोनु सातनयोनी अपेक्षाए स्वरूप समजवामाटे वाचकोने विज्ञप्ति करवामां आवे छे, आगमसार, नयचक्र, अध्यात्मसार, ज्ञानसार, आनंदघनचोवीशी वगेरे ग्रन्थो वांचवाथी अध्यात्मज्ञाननी प्राप्ति थाय छे. चतुर्थगुण स्थानकथी आरंभी अध्यात्मज्ञान- प्राकटय थाय छे. मुख्यतया अध्यात्म ज्ञानीओ त्यागी मुनियो होय छे कारण के तेओ परमात्मपदप्राप्तिमाटे अर्पाइ गएला होय छे. मुनिनां व्रतोमां अने मुनिना हृदयमां अध्यात्मज्ञाननी झांखी होय छे. गृहस्थो, अध्यात्मज्ञानमां सर्षप समान छे अने अध्यात्मज्ञानमां ज्ञानी मुनियो मेरु समान छे. ज्ञानीमुनियो सर्व प्रकारना संगथी रहित होय छे. चतुर्थ गुगस्थानक करतां पांचमा देशविरति गुण स्थानकमां अध्यात्मज्ञान अनंतगणुं खीले छे. पंचमा देशविरति गुण स्थानक करतां छठासर्वविरतिप्रमत्तगुणस्थानकमां अनंतगणु विशेष अध्यात्मज्ञान खीले छे, छट्ठा सर्वविरति गुणस्थानक करतां सातमा अप्रमत्तगुणस्थानकमां अनंतगणुं विशेष अध्यात्मज्ञान खीले छे, एम उत्तरोत्तरगुणस्थानकोमा बारमा गुणस्थानक सुधी अध्यात्मज्ञान खीले के अने त्रयोदशमासयोगीकेवलौगुणस्थानकमां केवलज्ञान प्रगट थाय छे अने त्यां साध्यनी सिद्धि थाय छे. अंतरात्मदशामां अध्यात्मज्ञानदशा तथा संयमध्यान समाधि ,
For Private And Personal Use Only