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१२८ सद्गुरु संतथी प्रीति धारी वर्तजो, सर्वजीवोनी सेवा करशो सत्यजो अहं अने ममतानी वृत्ति वारजो, दुःखीओने सहाय करो शुभकृत्यजो; कर्यु अने गुण पाम्यामां मौन ज रहो.... आतमशुद्धि करवा तप संयम धरो, परमार्थे अर्पाइ जाशो भव्यजो; बुद्धिसागर धर्मी जीवन पामशो, गुरुगमपामी करशो शुभ कर्तव्यजो; सर्वदेशोधर्मीयावा हित शिख छे.... ....
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हितशिक्षा. ओधवजी सन्देशो कहेशो श्यामने. ए राग. मिथ्या मति नास्तिकनो संग निवारजो, दुर्जन शठनो घरो नहीं विश्वासजो; हिंसक जूठा चोरथी चेती चालजो, सम्यग् ज्ञानी संगति करशो खासजो प्रभुमहावीर आज्ञाए जग चालजो.... .... व्यभिचारी व्यसनीनी सोबत त्यागजो, धर्मना द्वेषीजननो करो न संगजो धर्मना रागीजननी संगत धारशो, मुनिसंगतथी वधशे धर्मनो रंगजो; संपनी सेवामाटे अाइ जशो.... .... ....२ स्वाधिकारे मर्द बनी कार्यों करो, पाखंडी पासे नहीं करशोपासनो,
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