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सत्य वदंतां सत्याचरतां मृत्युथी, बीवू नहीं बनवू नहीं मूढना दासजो आतमशक्ति फोरवी जगमां जीवशो......... ....३ निर्बळ कायर बीकणर्नु शुं ? जीवg, अज्ञाने जीवन ते पशु अवतारजो; प्रभुमहावीरध्येय गणी जीवन वहो, निर्बळने जीवननो नहि अधिकारजो धर्मार्थे मरवाथी पाछा नहीं पडो.... .... ....४ पशुबळ सत्ताधारकथी बीवु नहीं, . धर्मीसंतनुं करो नहिं अपमानजो; मातपितागुरुदेवनी भक्ति कीजीए, सद्गुणीजन- सदा करो सन्मानजो गुणना रागे रीझो नरने नारीओ......... ....५ जातिमात्रना मोहे मुक्ति दूर छे, दंभथको दूर मुक्ति कोश हजारजो; वीतरागता पाम्या वण मुक्ति नहीं, धर्ममोहथी फूलो नहीं तलभारजोः सत्यतत्त्वने ज्ञानथकी ज विचारजो.... नामरूपनो मोह तजी प्रभुपंथमां, आगळ चालो समताए नर नारजो; बुद्धिसागरप्रभुमहावीरभक्तिथी, पामो अविचळ आनंद अपरंपारजो; गुणस्थानकनिःसरणीपर चढता रहो........ ....७
रजा.... .... ....६
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